लखनऊ। कजरी तीज के दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयू के लिए व्रत रखती है और अविवाहित लड़कियां इस पर्व पर अच्छा वर पाने के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन जौ, चने, चावल और गेंहूं के सत्तू बनाये जाते है और उसमें घी और मेवा मिलाकर कई प्रकार के भोजन बनाते हैं। चंद्रमा की पूजा करने के बाद उपवास तोड़ते हैं। इस दिन देवी पारवती की पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन को देवी पार्वती को सम्मानित करने और उनकी पूजा करने के लिए मनाया जाता है क्योंकि यह तीज अपने पति के लिए एक महिला की भक्ति और समर्पण को दर्शाती हैं।
कजरी तीज पर गुरुवार को महिलाओं ने व्रत कर शंकर पार्वती की पूजा की। घरों में केले के पत्ते से मंडप बनाकर गौरी गणेश की पूजा की गई। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि की ओर से पूजन का आयोजन किया गया है। मां गौरी स्वरूप कजरी की आकृति बना कर व्रत रखकर महिलाओं ने पूजन किया। पूजन के दौरान महिलाएं हरे रंग की साड़ी धारण किये हुए थीं।
देवी पार्वती भगवान् शिव से शादी करने की इच्छुक थी। शिव ने पार्वती से उनकी भक्ति साबित करने के लिए कहा। पार्वती ने शिव द्वारा स्वीकार करने से पहले, 108 साल एक तपस्या करके अपनी भक्ति साबित की। भगवन शिव और पार्वती का दिव्य संघ भाद्रपद महीने के कृष्णा पक्ष के दौरान हुआ था। यही दिन कजरी तीज के रूप में जाना जाने लगा। इसलिए बड़ी तीज या कजरी तीज के दिन देवी पार्वती की पूजा करने के लिए बहुत शुभ माना जाता हैं। इस दिन घर में झूले लगाते है और महिलाएं इकठ्ठा होकर नाचती है और गाने गाती हैं।