रायबरेली। असद खान: रायबरेली अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। रायबरेली का एकमात्र स्टेडियम जिसको नाम दिया गया है मोतीलाल नेहरू स्टेडियम, लेकिन सुविधाओं के नाम पर जीरो। खिलाड़ियों को यहाँ आज भी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी स्टेडियम से सुधा सिंह ने प्रदेश में नहीं देश में रायबरेली का नाम रोशन किया है। वहीं अगर क्रिकेट की बात की जाए तो रायबरेली के आरपी सिंह जैसे खिलाड़ियों ने देश में नाम रोशन किया है। रायबरेली से सम्बन्ध रखने वाले और भी इंटरनेशनल खिलाड़ी हैं, लेकिन स्टेडियम अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है।
जिम्मेदार अधिकारियों की नजर इस पर क्यों नहीं पड़ती, यह एक बड़ा सवाल है। पूर्व में रायबरेली में तैनात जिलाधिकारी रहे अनुज कुमार झा ने अपनी निधि से 25 लाख रुपए बहुउद्देशीय हाल और स्टेडियम के सुंदरीकरण के लिए मुहैया कराए, लेकिन वह पैसा कहां गया और मेंटेनेंस के नाम पर जो पैसा आता है, आखिर वह जाता कहां है? इस का कोई हिसाब नही। अगर बात की जाए तो चौकीदार से लेकर तकरीबन 7 लोगों का ग्राउंड व साफ-सफाई को देखने के लिए रखा तो जरूर है, लेकिन उनको घर बैठे तनखा क्यों दी जाती है।अब वह पूरी दी भी जाती है या आधी किसी और के लिए जाती है, यह एक बड़ा सवाल है।
वहीँ जब इस पूरे मामले पर स्पोर्ट्स अफसर से बात की गई तो उन्होंने गोल-गोल घुमाते हुए जवाब दिया और बजट का हवाला देते हुए मामले को घुमाते हुए जरूर नजर आए। पर सवाल यही उठता है कि शासन के द्वारा जो खिलाड़ियों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है आखिर वह उनको क्यों नहीं मिल पाती। इसी रायबरेली में हाथी का अंतरराष्ट्रीय ग्राउंड भी बना है, जो करोड़ों की लागत से बनवाया गया था। लेकिन वह भी आज बदहाली की मार झेल रहा है। फिलहाल अब देखना यह होगा कि इस बधाई स्टेडियम की दशा में सुधार हो पाता है या फिर खिलाड़ियों को ऐसे ही बदहाली की मार झेलनी पड़ेगी।