प्रयागराज: किसान, अन्नदाता को झेलनी पड़ रही दोहरी मार, गंगा यमुना का बढ़ता जल स्तर किसानों के चेहरे पर बढ़ा रही चिंता की लकीरें


प्रयागराज। दिलीप गुप्ता: वैश्विक महामारी कोरोना वायरस ने जहां लोगों का जीना दुश्वार कर रखा है। वही प्रयागराज को दोहरी मार झेलने के लिए तैयार रहना पड़ेगा। क्योंकि प्रयागराज में बाढ़ की वजह से गंगा के तटीय इलाकों में उगाई जाने वाली सब्जियां खत्म सी होती जा रही है। जिससे बाजार में बिकने वाली सब्जियां महंगे दामों पर बेची जाएंगी। गंगा और यमुना दोनों ही नदियां अपनी रौद्र रूप दिखानी शुरू कर दी हैं। दोनों नदियों का लगातार बढ़ता हुआ जलस्तर नदी किनारे बसे लोगों को अब डर सताने लगा है। भले ही दोनों नदियां खतरे के निशान से अभी नीचे बह रही हैं। वही तबाही का मंजर किसानों के चेहरे पर अभी से दिखने लगा है। वही दूसरी तरफ धार्मिक लोग चाहते है कि जल स्तर और बड़े ताकि बंधवा स्तिथ लेटे हनुमान जी स्नान कर सके।

गंगा के तटीय इलाकों में सब्जियों की खेती की जाती है जिसमें से महत्वपूर्ण सब्जियां परवल, लौकी, नेनुआ उगाई जाती है। लेकिन नदियों के बढ़ते जलस्तर ने इन सभी सब्जियों पर संकट सा दिखने लगा है। जैसे-जैसे नदी का जलस्तर बढ़ता जा रहा है वैसे वैसे सब्जियों की खेती को अपनी चपेट में लेता जा रहा है जिससे कई बीघा कि सब्जियां मौजूदा समय में बाढ़ में समाहित हो गई हैं। रोजी-रोटी की तलाश में नदी के तटीय इलाकों में दूसरे प्रदेशों से किसान आकर 5000 हजार रुपये में किराए की जमीन लेकर सब्जियां उगाते हैं । और इन्हीं सब्जियों को बेचकर पूरे वर्ष अपने परिवार का खर्च चलाते हैं

लेकिन कोरोना काल की वजह से हुए लॉक डाउन के बाद अब किसानों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है। सरकार द्वारा अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई तो दैवीय आपदाएं भी अपना रौद्र रूप दिखानी शुरू कर दी जिससे इन किसानों के रोजी-रोटी पर संकट सा आ गया है।

किसानों का कहना है कि इन्हीं सब्जियों से पूरे परिवार का खर्च चलता है लेकिन मौजूदा समय में बाढ़ को देखते हुए पत्नी बच्चे को गांव भेज दिया गया है और अगर यमुना का जलस्तर लगातार इसी तरह बढ़ता रहा तो बचे हुए फसल भी बाढ़ में समाहित हो जाएंगे। जिससे लागत निकाल पाना भी मुश्किल हो जाएगा। कोरोना काल के इस घड़ी में कर्ज लेकर सब्जी की खेती करने वाले किसान के सामने रोजी-रोटी की संकट के साथ-साथ कर्ज अदायगी की समस्या कुछ ही दिनों में आने वाला है।

दूर दराज से आए किसान गंगा किनारे बसे गांव मवैया, देवरख, लवायन,गंजिया के अलावा अन्य गांव के कछार में किराए पर जमीन लेकर सब्जी की खेती करते हैं। बाढ़ ने इनकी रोजी रोटी बर्बाद कर दिया है। सरकारी आदेश के बावजूद अभी तक राजस्व विभाग की टीम इन गांवों में नहीं पहुंची, जिससे की नुकसान का सर्वे नहीं हो सका है। गंगा और यमुना के जलस्तरों में लगातार हो रही वृद्धि से सब्जी किसानों के लिए आफत बन गई है। सैकड़ों बीघा सब्जी की खेती बर्बाद हो गई है। किसानों के सामने लागत से लेकर कर्ज अदायगी तक की समस्या के साथ-साथ रोजी रोटी का संकट भी सामने दिख रहा है।


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