राष्ट्रीय रोजगार एंजेसी को व्यवस्थाओं की जटिलता से बचाना होगा


लेखक: विजय श्रीवास्तव (सहायक आचार्य, अर्थशास्त्र विभाग, लवली प्रोफेशनल विश्विद्यालय)

अगर आप रोजगार तलाश रहे, बेरोजगार युवाओं से पूछिये कि “भारत की रोजगार प्रणाली का सबसे बड़ा दंश क्या है? तो आपको सभी से एक ही समान उत्तर मिलेगा और वो है “अपारदर्शी परीक्षाओं की जटिल कार्यव्यवस्था” और ये जटिल व्यवस्था रोजगार की अधिसूचना से लेकर परीक्षा के दीर्घकालीन अविलम्ब परिणाम तक चलती रहती है | धीरे -धीरे ये जटिल व्यवस्था कुव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है | अंत में रोजगार तलाश रहे , करोड़ों युवाओं का मनोबल टूट जाता है | इसके परिणाम स्वरूप समाज में हताशा और निराशा चरम पर होती है |

एक सम्मानजनक रोजगार भारत के युवाओं के लिए केवल आजीविका का ही नहीं अपितु सामाजिक संम्मान और प्रतिष्ठा का भी प्रश्न है ! और जब उन्हें इस प्रश्न का उत्तर नहीं मिल जाता वे इस जटिल कार्यव्यवस्था के कुप्रबंधन की भेंट चढ़ते रहेगें | इसका विकल्प तलाशना फिर सरकार और राज्य की नैतिक जिम्मेदारी बनती है | आप शिक्षित युवाओं को रोजगार का अधिकार न सही कम से कम ” सम्मान जनक पारदर्शी रोजगार तलाशना का अधिकार तो दें “| जिसका आधार योग्यता के लिए स्वस्थ प्रतियोगिता हो |

केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में राष्ट्रीय रोजगार एक ऐसा ही कदम है | इसकी सार्थकता तो अच्छी प्रतीत होती है | लेकिन क्या इससे रोजगार तलाश रहे यवाओं को आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से लाभ मिलेगा | आइये विश्लेषण करते हैं |

कोविड महामारी के दौर में एक ओर जहाँ सरकारी और निजी क्षेत्र बढ़ती लागत का सामना कर रहे हैं और वहीं दूसरी और रोजगार तलाशने वाले बेरोजगार युवाओं की जेबें भी खाली हैं , ऐसे समय में राष्ट्रीय रोजगार एजेंसी एक सराहनीय पहल है | जहाँ दोनों तरफ से परीक्षाओं में होने वाले अनावश्यक व्यय पर लगाम लगेगी | वही अवसर की समानता की दृष्टि से भी इस एजेंसी के आने से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच का भेद मिटाएगा | यह एंजेसी चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी | नियोक्ता और नौकरी चाहने वाले युवा दोनों समान रूप से ही लाभान्वित होगें जनांकिकीय लाभ वाले देश भारत के युवाओं को सम्मानजनक रोजगार प्रदान करने की दिशा में राष्ट्री रोजगार एजेंसी एक क्रन्तिकारी कदम है| अभी तक विभिन्न विभाग अलग –अलग तरीकों से अभ्यर्थियों का चयन करते थे | किन्तु इसमें अधिक समय लग जाता था | जिससे अभ्यर्थियों का अधिक समय परीक्षा केपरिणाम घोषित होने तक उसकी प्रतीक्षा में व्यतीत हो जाता था |

राष्ट्रीय रोजगार एजेंसी के तहत परीक्षा को कम से कम समय में अभ्यर्थियों का चयन , अभ्यर्थियों का समय बचाएगा | जिससे अभ्यर्थी आत्मनिर्भर बनने के लिए रोजगार के अन्य अवसरों की ओर भी अग्रसर होगें | ये एक प्रकार से अवसर और पारदर्शिता के दोहरे लाभ का संकेत है राष्ट्रीय रोजगार एजेंसी की कारगरता इसी बात से स्पष्ट है कि जहां इसके द्वारा बेरोजगार युवाओं को आवंटित परीक्षा के खर्चों से मुक्ति मिलेगी तो वहीं दूसरी ओर अभ्यर्थियों को विभिन्न विभागों में एक ही परीक्षा के माध्यम से प्रवेश करने के समान अवसर मिलेंगे और चयन प्रक्रिया भी पुरानी प्रक्रियाओं की तुलना में पारदर्शी होगी | अन्य भाषाओं में भी यह परीक्षा आयोजित होने के कारण भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं होगा|

निश्चित ही ये एक नई पहल है किन्तु इसकी पारदर्शिता और अवसर की समानता को व्यवस्थाओं की जटिलता की भेंट चढ़ने से बचाना होगा |
किन्तु इसके क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर व्याप्त विषमताओं और विचलनों को दूर करना आवश्यक है | अगर रोजगार सृजन की प्रकिया धीमी है तो भी इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिलेगा | श्रम बाजार की मांग और पूर्ति के बीच असंतुलन भी इसकी कारगरता में रोड़ा अटका सकता है | कुशल शिक्षित और तकनीकी कामगारों को इससे लाभ नहीं मिल पायेगा ,जबकि सरकार एकाधिरात्मक पूंजीवाद को बढ़ावा दे | निजी क्षेत्रों को सरकारी क्षेत्रों से समन्वय बनाकर चलने में ही इसकी महत्ता सिद्ध होगी | अगर ऐसा नहीं हो पाया तो अन्य सरकारी नीतियों और विचार की तरह ये भी व्यवस्थाओं की जटिलता का ग्रास बन जाएगा |


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