गाजीपुर: शौचालय निर्माण के लिये आये 35 लाख रुपयों का गाँव के ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी द्वारा जमकर हुआ बंदरबांट


गाजीपुर। एकरार खान: स्वच्छ भारत मिशन योजना में गांव-गांव में घोटालों की खबर सामने आने लगी है। गाजीपुर के मुहम्मदाबाद ब्लाक के ब्रह्मदासपुर गांव के एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसमें शौचालय निर्माण के लिये आये 35 लाख रुपयों का ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी द्वारा जमकर बंदरबांट किया गया और इस गांव में ज्यादातर शौचालय या तो बने ही नहीं और जो बने भी हैं वो प्रयोग के योग्य नहीं हैं। ग्रामीण पुरुष और महिलाएं आज भी शौच के लिये खेत मे जाने को मजबूर हैं। यही नहीं यहां के ग्राम प्रधान ने मृतकों के नाम से भी शौचालय का पैसा उतार लिया। बता दें न केवल इस गांव बल्कि पूरे मुहम्मदाबाद ब्लाक को जिला प्रशासन द्वारा ओडीएफ घोषित किया जा चुका है।

जनपद गाजीपुर में ब्रह्मदासपुर ग्रामसभा है जहां पर साल 2019 में इस गांव के साथ ही मोहम्मदाबाद ब्लाक को स्वच्छ भारत मिशन योजना के तहत ओडीएफ कराने हेतु लाखों का बजट आया था, जिसके तहत इस गांव के लिए 294 शौचालय की स्वीकृति मिली और करीब ₹35 लाख ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के खाते में विभाग के द्वारा रिलीज किए गए थे। इन पैसों का ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ने इस कदर लूटपाट किया कि 294 शौचालयों में से 94 शौचालय भी आमजन के प्रयोग लायक नहीं रहा। इसी बात को लेकर गांव के ही रहने वाले करीब 9 लोगों ने शपथ पत्र के साथ जिला अधिकारी को इसकी शिकायत किया था, जिस पर जिलाधिकारी ने कार्यवाही करते हुए जिला युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल अधिकारी अजीत कुमार सिंह को इस गांव के शौचालयों के निर्माण की जांच के लिए भेजा।

1 दिन पूर्व जब अधिकारी के द्वारा गांव के शौचालयों की बारीकी से जांच की जाने लगी तो गांव में एक भी शौचालय ऐसा नहीं मिला जिसे ग्रामीणों के द्वारा प्रयोग में लाया जाता रहा हो कारण की ग्राम प्रधान के द्वारा कुछ ग्रामीणों को शौचालय निर्माण के लिए 6000 की किस्त दी गई और दूसरी किस्त का आज तक अता पता नहीं तो कुछ ग्रामीणों को शौचालय निर्माण की सामग्री उपलब्ध कराई गई। जो शौचालय के निर्माण के लिए नाकाफी था फिर भी ग्रामीणों ने इन पैसों से जितना हो सके उसका निर्माण कराया जिसका नतीजा आज देखने को मिला किसी के शौचालय के छत नहीं तो किसी के दरवाजे नहीं किसी के सब कुछ ठीक तो शौचालय के अंदर बैठने के लिए सीट नहीं इतना ही नहीं ग्राम प्रधान के द्वारा करें आए हुए बजट से 17 लाख रुपया खुद निकाला गया लेकिन शौचालय पूर्ण होने के बाद नियमों की बात करें तो सभी शौचालयों पर इज्जत घर, लाभार्थी का नाम व पता के साथ निर्माण वर्ष भी लिखा जाना चाहिए लेकिन यह कहीं भी लिखा नहीं पाया गया इतना ही नहीं ग्राम प्रधान के द्वारा जांच को लगातार प्रभावित करने के लिए प्रयास भी किया जाने लगा।

वही गांव के ही शिकायतकर्ता ने बताया कि उनके ग्राम सभा में ग्राम प्रधान के द्वारा 19 लाख ₹4000 स्वयं अपने नाम से शौचालय के लिए आए बजट से निकाल लिया गया, इसके साथ ही गांव के 58 ऐसे लाभार्थी जिनके नाम पर बजट तो आया लेकिन उनको शौचालय नहीं दिया गया 25 ऐसे सरकारी नौकरी वाले जिनके नाम पर शौचालय का बजट तो आया जिसमें से कुछ को 6000 की एक किश्त दिया गया और बहुतों को तो आज भी पता नहीं है कि उनके नाम पर शौचालय का पैसा उतारा गया है। गांव में 60 ऐसे लोग भी हैं, जिन्हें ग्राम प्रधान के द्वारा 12000 के बजाय मात्र ₹6000 का चेक दिया गया। जिसके चलते उनका आज भी शौचालय पूर्ण है चौंकाने वाली बात तब आ जाती है। जब ग्राम प्रधान के द्वारा चार ऐसे लोगों के नाम पर भी शौचालय का पैसा उतार लिया गया जो लगभग 5 साल पूर्व है इस दुनिया को अलविदा कर चुके हैं।

वहीं जांच करने आए अधिकारी अजीत प्रताप सिंह से जब इस बारे में जानना चाहा कि जांच के दौरान उन्होंने प्रथम दृष्टया क्या पाया तो उनका जवाब भी संतुष्ट करने वाला नहीं था। उनका कहना था कि कुछ अपूर्ण शौचालय मिले हैं जिन्हें पूर्ण करने के लिए निर्देश दिया गया है वही जब उनसे जानना चाहा कि क्या उनके जांच के दौरान पूरे गांव में एक भी शौचालय मिला जिस पर इज्जत घर निर्माण वर्ष 2019 और लाभार्थी का नाम पता लिखा मिला। जब वह बगले झांकने लगे। वही ग्राम प्रधान से जब इसके बारे में जानने का प्रयास किया तो उसने बताया कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत आए पैसे में से मैंने कोई घोटाला नहीं किया बल्कि कुछ शौचालय को मैंने स्वयं बनवाया तो कुछ शौचालयों के निर्माण के लिए लाभार्थी को पैसा दे दिया वही अपूर्ण शौचालय होने के चलते खुले में शौच के लिए जा रहे ग्रामीणों के बाबत जब जानना चाहा तब उनका कहना था इसके बारे में हम लोग क्या कर सकते हैं ग्रामीणों को बहुत समझाते हैं लेकिन वह लोग मानते नहीं है।


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