
जालौन। दर्जनों मिश्रित गुटखा शहर में विभिन्न-विभिन्न क्षेत्रो में चोरी छिपे बनाए जा रहें है और जिसको लेकर कभी-कभी मुहिम चलाई जाती है परंतु मामला बाद में ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है। करोड़ो रूपए का यह अवैध व्यापार जो कि कैंसर जैसी बीमारी को कुकरमुत्ता की तरह फैला रहा है फिर भी इस पर रोक नहीं लग पा रहीं है। आखिरकार ऐसे कौन से लोग है जिनकी छत्रछाया में यह धंधा फल फूल रहा है।
जबकि सुपाड़ी, मिश्रित गुटखा बाजार में नहीं बिक सकता है। इतना हीं नहीं इसके ऊपर अच्छा खासा जुर्माना है और जेल भेजने का प्रावधान भी है कहीं ऐसा तो नही ?? खाद्य अभिहित अधिकारी मोटे सुविधा शुल्क के चलते इनको नजरअंदाज कर देते हो जब ज्यादा प्रेशर पड़ता है तो वो इक्का दुक्का लोगो की चेकिंग करके कागजी खानापूर्ति पूरी कर लेते हो। इसके पहले लाखों की गुटखा सामग्री पकड़ी जा चुकीं है परंतु गुटखा बनाने वालो की सेहत पर इससे कोई फर्क नहीं हुआ।
इनका व्यवसाय दिन दूना रात चौगुना बढ़ रहा है। 95 प्रतिशत मुंह का कैंसर गुटखे के सेवन होता है। इसके अलावा हार्ट अटैक, फेफेडो के रोग, दृष्टिविहीनता आदि रोग भी इससे पनपते हैं । प्रतिवर्ष लगभग 9 लाख लोग गुटखे का सेवन करने से मर जाते है । इसको रोकने के लिए शासन द्वारा न जाने ही कितनी मुहीम चलायी गयी पर अवैध गुटखा कारोबारियों ने प्रशासन तो अगूँठा ही ठेंगा दिखा दिया।
प्रशासन मौन पड़ गया कहीं कुछ दाल में काले सामान की कहाबत तो सही नही है कि कुछ प्रशानिक अधिकारियों के स्थानांतरण होने पर भी बो अपना मोह व अपनी कुर्सी वहाँ से नही त्याग पा रहे जो उन्हीं के संरक्षण में अवैध व्यापार फल फूल रहा हो ? फिर भी यहीं कहा जा सकता है कि इतना कुछ होने पर कार्यवाही इन पर नहीं हो पा रही है आखिरकार देखना दिलचस्प है कि इस प्रतियोगिता में जीत किसके हाथ में है कानून का सिकंजा भारी या अवैध कारोबारियों की दुकानदारी भारी।