भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की गणेश चतुर्थी पर 22 अगस्त को घरों में भगवान गणेश की स्थापना होगी। इस दिन घर-घर में भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी और अगले 7 से 10 दिनों तक प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा की जाएगी। लोगों ने भगवान गणेश की मिट्टी की प्रतिमा बनाने की तैयारियां अभी से शुरू कर दी हैं। कोरोनाकाल के कारण इस बार सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं होंगे। मंदिरों में भी भक्तों को दर्शन नहीं हो पाएंगे। 10 दिनों तक गणपति की आराधना करने के पश्चात एक सितंबर दिन मंगलवार को गणपति बप्पा को विसर्जित किया जाएगा। मिट्टी की प्रतिमा का विसर्जन भी घर में ही किया जाएगा। ज्योतिषाचार्य मुखराम प्रजापत ने बताया कि भगवान गणपति स्वयं मुहूर्त हैं। इनकी पूजा में मुहूर्त और चौघड़िया का विचार नहीं किया जाता। इसलिए 22 अगस्त को बहुला चतुर्थी पर किसी भी समय भगवान गणेश की स्थापना की जा सकती है।
शुक्रवार रात 11:02 बजे से शनिवार शाम 7:57 तक चतुर्थी
गणेश चतुर्थी शनिवार को मनाई जाएगी। इस बार सार्वजनिक पांडाल नहीं सजेंगे। लोगों को घरों में ही मिट्टी के गणेश विराजित कर उनका वहीं विसर्जन करना होगा। ज्योतिषाचार्य पं. रमेश शास्त्री ने बताया कि गणेश पूजन का सर्वश्रेष्ठ अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12.05 से 1.05 बजे तक है। चतुर्थी पर सुबह शुभ के चौघड़िए में 7.40 बजे से पहली पूजा की जा सकती है।
अधिकतर लोग अभिजीत मुहूर्त में पूजा को महत्व देते हैं। दोपहर 3.10 से शाम 4.40 बजे तक अमृत का मुहूर्त है, अंतिम पूजा यही होगी। चतुर्थी शुक्रवार रात को 11.02 बजे लग जाएगी, जो शनिवार को शाम 7.57 बजे तक रहेगी। ज्योतिषचार्य पं. ओम शास्त्री ने बताया कि चतुर्थी शिवा, शांता और सुखा तीन प्रकार की होती है।
गणेश चतुर्थी के बाद हर दूसरे दिन रहेंगे पर्व
23 अगस्त : ऋषि पंचमी व पर्युषण पर्व प्रारंभ
26 अगस्त : महर्षि दधीचि जयंती
28 अगस्त : दशमी रामदेवजी
29 अगस्त : जलझूलनी एकादशी
1 सितंबर : अनंत चतुर्देशी
मुहूर्त
अभिजीत मुहूर्त : दोपहर 12.05-1.05 बजे तक
शुभ का चौघड़िया: सुबह 7.40-9.10 बजे तक
चर का चौघड़िया: दोपहर 12.10-1.40 बजे
लाभ का चौघड़िया: 1.40-3.10 बजे तक
अमृत का चौघड़िया: दोपहर 3.10-4.40 बजे तक