कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर 80 वीं नारायणी गंडकी महाआरती कार्यक्रम का आयोजन


वाल्मीकिनगर: भारत नेपाल सीमा पर स्थित संगम तट के बेलवा घाट परिसर में कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर 80 वीं नारायणी गंडकी महाआरती कार्यक्रम का आयोजन किया गया। स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ सादे समारोह में किया गया।

कोरोना काल में नियमित मासिक महाआरती परंपरा का भली-भांति निर्वाह करते हुए भक्तों को सरकारी निर्देशों का पालन करने का संदेश दिया गया।

डी. आनंद ने कहा कि फिर से तीव्रता के साथ कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। हमें जागरूक रहने की जरूरत है। बेवजह घरों से बाहर नहीं निकलें। सभी भक्तों ने मास्क लगाकर महाआरती कार्यक्रम में भाग लिया।

युवा समाजसेवी सह गायक संगीत आनंद ने कहा कि सर्वधर्म समभाव की भावना से प्रेरित यह कार्यक्रम वाल्मीकि नगर की पहचान है। पंडित अनिरुद्ध द्विवेदी ने कहा कि कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है। संगम तट पर कथा श्रवण करने, दान, पुण्य व हवन करने से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

थारू कला संस्कृति एवं प्रशिक्षण संस्थान के सचिव होम लाल ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण संवर्धन का संदेश देते हुए जन जागरूकता के निमित्त यह महाआरती हर महीने की पूर्णिमा को की जाती है।

थरुहट के गायक चंदेश्वर गुरु ने बताया कि नवोदित कलाकारों के लिए यह एक बहुत बड़ा प्लेटफार्म है। सदानीरा के तट पर होने वाली इस महाआरती से हमारा जीवन भी धन्य होता रहा है।

संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी ने कहा कि नारी, त्याग, दया और ममता की मूर्ति होती है। गंगा माता भी एक नारी है और हम सभी महा आरती में गंगा माता की आराधना और पूजा करते हैं। माता कभी कुमाता नहीं होती।

वर्चुअल रूप से भाजयुमो के पूर्व जिला अध्यक्ष दुर्गा प्रसाद गुप्ता, उत्तर प्रदेश के बिरहा गायक श्याम देव साहनी, आशुतोष मिश्रा, गायक प्रभात रंजन सिंह, अजय भक्त, गायक कृष्णा आर्य, बजरंगी निगम, गायक कार्तिक कुमार काजी, अनमोल कुमार, इडिटर स्वरांजलि सरगम, भोला कुमार, प्रदीप कुमार, ओमप्रकाश साह, सतीश कुमार, विशाल कुमार, आदित्य पासवान, रवि कुमार, एवम् रोशन कुमार आदि भक्तों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सूर्यास्त के पश्चात दूधिया रोशनी में नारायणी गंडकी महा आरती की गई।

कार्यक्रम के अंत में भक्तों ने मास्क लगाना है, कोरोना दूर भगाना है, जीवन को नहीं खोना है, हाथों को बार बार धोना है आदि नारे बुलंद किए।

रिपोर्ट: विजय कुमार शर्मा


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