उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भले ही अभी समय बचा हो, लेकिन अभी से ही वोटरों को लुभाने की कोशिश जारी हो गयी है. इस समय नेताओं में हिंदुत्व का रंग सर पर पूरी तरह चढ़ गया है. जिसे देखो वही हिंदुओ को लुभाने में लग गया है. योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली बीजेपी ‘राम’ को घर-घर पहुंचाने में जुटी है तो सपा से लेकर बसपा तक ‘परशुराम’ की नाव पर सवार होकर सत्ता के वनवास को खत्म करने की कोशिशों में हैं.
अखिलेश यादव से लेकर मायावती तक भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने का वादा कर सूबे के विशेष हिंदुत्व वोट यानि ब्राह्मण वोट को साधने की कवायद में है. दरअसल, हालिया एनकाउंटर के बाद से सूबे में ब्राह्मण राजनीति को लेकर सियासी समीकरण बनाने की कोशिश चल रही है.
सपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं ने ब्राह्मणों की उपेक्षा का आरोप लगाया और ब्राह्मणवाद का कार्ड भुनाने में जुटे हैं. सोशल मीडिया पर भी उत्तर प्रदेश की सियासत में ब्राह्मण वोट बैंक की चर्चाएं तेज हैं. सूबे में करीब 10 फीसदी ब्राह्मण मतदाता संख्या के आधार पर भले कम हों, लेकिन माना जाता कि राजनीतिक रूप से सत्ता बनाने और बिगाड़ने की ताकत रखते हैं.