बिहार सरकार में मंत्री व केंद्रीय राज्य मंत्री के क्षेत्र में नही पहुँचा विकास, ग्रामीणों ने किया वोट बहिष्कार


बिहार | राहुल मिश्रा | बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार में विकास का ढिंढोरा पीट रहे हैं और आगामी विधानसभा चुनाव में इसी विकास के मुद्दे को लेकर लोगों को रिझाने में लगे हुए हैं। लेकिन विकास की हकीकत क्या है यह किसी से छुपी हुई नहीं है। नीतीश सरकार के ही राज्य मंत्री के विधानसभा क्षेत्र की जनता अपने गांव में विकास नहीं होने पर अभी से ही वोट बहिष्कार करना शुरू कर  नीतीश कुमार के विकास के दावों की पोल खुलना शुरू कर दिया है। मामला बिहार के रोहतास जिला अंतर्गत दिनारा विधानसभा क्षेत्र के सूर्यपुरा प्रखंड अंतर्गत गोशलडीह पंचायत के कोसंदा खुर्द गांव की है, जहां आजादी के 73 साल बीतने के बाद भी लोगों को विकास की रोशनी नहीं दिखायी पड़ी है। गांव में समस्या से जूझ रहे लोगों ने अब विकास के नाम पर वोट मांग रहे बिहार के मुखिया नीतीश कुमार को आइना दिखाना शुरू कर दिया है। गांव के लोगों ने अभी से ही आगामी विधानसभा चुनाव के लिए वोट बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। गांव के लोगों ने गांव के बाहर वोट बहिष्कार का बैनर लगा दिया है। 


इस गाँव मे 1290 वोटर हैं कुल गांव की आबादी 2000 के लगभग


बिहार सरकार के मंत्री व केंद्रीय राज्य मंत्री के क्षेत्र में नही पहुँचा विकास

दिलचस्प बात यह है कि यह गांव उस विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है जहां के वर्तमान विधायक जय कुमार सिंह नितीश कुमार की पार्टी से दो दो बार जीत हासिल कर राज्य मंत्री बने हुए हैं। तो वही इसी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद अश्विनी कुमार चौबे दो बार जीत हासिल करके केंद्र सरकार में केंद्रीय राज स्वास्थ्य मंत्री के पद पर काबिज है। सवाल यह उठता है कि जब सरकार में ही मंत्री रह चुके विधायक व सांसद क्षेत्र के गांव में विकास की लौ तक नहीं पहुंची है तो अन्य क्षेत्रों की क्या हकीकत होगी यह तो वहां के लोग ही जानते होंगे। नीतीश सरकार कितने भी विकास के दावे कर ले लेकिन वास्तव में हकीकत कुछ और है।


क्या कहते है ग्रामीण


कोसांदा खुर्द गांव के लोग बताते हैं कि आज आजादी के 73 वर्ष बीत गये हैं लेकिन विकास क्या होता है गांव के लोगों को नहीं पता। आज भी गांव के लोग विकास की आस लगाये हुए हैं। ग्रामीण बताते हैं कि गांव से मुख्य सड़क की दूरी तकरीबन 2 किलोमीटर है। गांव की सड़क का तो अता पता ही नहीं है। ग्रामीण बताते हैं कि जब कोई बीमार पड़ता है तो उसे खटिया पर टांग कर प्रखण्ड मुख्यालय स्थित अस्पताल ले जाना पड़ता है। लोगों ने बताया कि नीतीश कुमार ने नल जल योजना का उद्घाटन भी कर दिया लेकिन गांव में नल जल योजना दूर दूर तक दिखायी नहीं दे रही है। वही स्वास्थ्य व्यवस्था की बात करें तो 3 दशक पूर्व में ही अस्पताल भवन बनाया गया था लेकिन आज वह पूरी तरह से जर्जर है और उसमे आज तक कोई भी स्वास्थ्य कर्मी नहीं आया। गांव के लोगों ने बताया कि नीतीश कुमार सिर्फ झूठ मुठ का  विकास का दावा करते हैं। विकास कितना हुआ है  नीतीश कुमार कोसांदा गाँव आ कर देख ले।


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