भोपाल। बेरूत धमाके में बड़े पैमाने पर लोगो की जान गयी थी और काफी नुकसान भी हुआ था। यह धमाका अमोनियम नाइट्रेट के वजह से हुआ था, जिसके बाद भारी तबाही हुई थी। एमपी के सिंगरौली और देवास जिले में भी प्रदेश के 95 फीसदी अमोनियम नाइट्रेट का भंडार है। इसका इस्तेमाल उर्वरक और विस्फोटक बनाने में होता है। बेरूत की घटना के बाद इसकी सुरक्षा पर भी फोकस किया जा रहा है। मध्यप्रदेश में विभिन्न जगहों पर 81 हजार क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट को भंडार कर रखा गया है।
इसमें से 95 फीसदी भंडार सिर्फ 2 जिले सिंगरौली और देवास में है। देवास में सिर्फ 40 हजार क्विंटल अमोनियम नाइट्रेट का भंडार है। हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने इसे लेकर पड़ताल की है। पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (PESO), अमोनियम नाइट्रेट के भंडारण की निगरानी करता है। एमपी में इसके 3 अधिकारी और 7 कार्यालय कर्मचारी हैं। जिला प्रशासन हर महीने भंडार की स्थिति को लेकर रिपोर्ट PESO को देते हैं। उसके बाद PESO इसकी जांच करती है और गड़बड़ी पाए जाने पर कार्रवाई करती है।
72 जगहों पर अनुमति
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश में 72 जगहों पर अमोनियम नाइट्रेट के भंडारण की अनुमति है। लेकिन सबसे ज्यादा सिंगरौली और देवास में रखा गया है, उसके बाद अनूपपुर और कटनी में है। PESO सूत्रों के अनुसार अमोनियम नाइट्रेट के भंडारण, सुरक्षा और संचालन के लिए कई प्रोटोकॉल निर्धारित किए गए हैं। विस्फोटक के मूवमेंट की निगरानी PESO और जिला प्रशासन के अधिकारी करते हैं।
एमपी में अमोनियम नाइट्रेस का सबसे बड़ा लाइसेंस एक ही फर्म के पास है, जो उर्वरक बनाती है। साथ ही एमपी में अमोनियम नाइट्रेट का वितरक भी है। इसका देवास के साथ-साथ सिंगरौली में भी भंडारण का लाइसेंस है। इसके अलावा सिंगरौली के कुछ बिजली संयत्रों को भी लाइसेंस है।
इसके साथ ही सरकारी माइनिंग कंपनियों को भी सिंगरौली, अनूपपुर, शहडोल और बैतूल में लाइसेंस है। लेकिन बहुत कम मात्रा में है। देवास में दो जगहों पर 45,000 क्विंटल भंडारण की अनुमति है, जबकि 31,000 क्विंटल अन्य 8 जगहों पर है। 1200 क्विंटल अनूपपुर में और 3500 क्विंटल कटनी में भंडारण की क्षमता है।