
अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद और कार्यकर्ताओं द्वारा देश भर में समर्पण राशि इकट्ठा की जा रही है। अखिल भारतीय संत समिति द्वारा काशी में राम मंदिर निर्माण को लेकर जनवरी प्रथम सप्ताह में बैठक भी किया गया था। मंदिर निर्माण में संतो के कार्यों और उनके योगदान को लेकर समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने दैनिक भास्कर ऐप से विशेष बातचीत कर सवालों का जबाब दिया। उनका दावा है कि 36 महीनों में मंदिर आधारित संस्कृति का विकास पूरे भारत में होगा।
सवाल – मंदिर निर्माण के दौरान संत समिति कैसे कार्य करेगी?
जबाब – संत दो तरीके से कार्य करेंगे। पहला सब कुछ राम को समर्पण कर के, दूसरा 13 करोड़ से ज्यादा हिंदू परिवार और 65 करोड़ से ज्यादा हिंदुओं को राम के माला में पिरोना है। संत वर्चुअली नही इमोशनल और पर्सनल रणनीति पर कार्य करेंगे।
सवाल – 36 महीनों में निर्माण कार्य के दौरान कहा – कहा और कैसे अभियान चलेगा?
जबाब – नींव प्रारंभ से निर्माण पूर्ण होने तक 36 से 39 महीने लगेंगे। संत समाज देश 600 जिलों तक पहुंचेगा। सभी राज्यों और जिलों में प्रभारी नियुक्त किये जायेंगे। 6 लाख ग्राम सभाओं में 20 लाख के करीब साधुओं, 50 लाख के करीब पुजारियों और मंदिर से जुड़े 30 लाख लोगों को संपर्क किया जाएगा। मंदिरों की सुरक्षा, और स्नातक इकोनॉमी कैसे खड़ा किया जाए इस पर कार्य होगा। राम मंदिर निर्माण के साथ मंदिर आधारित संस्कृति का विकास होगा। देश मे कोई भी मंदिर पुजारी विहीन न हो और भोग, आरती की समुचित व्यवस्था पर काम होगा।
सवाल – संत समिति और ट्रस्ट के तालमेल पर कुछ प्रकाश डाले?
जबाब – संत समिति में 9 निदेशक होते है। 3 निदेशक श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़े है। नृत्य गोपाल दास, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी और स्वामी परमानंद जी महराज ट्रस्ट से जुड़े है। संतो का कार्य समरसता के जरिये लोगो को जोड़ने का है। जिसके लिए हम सभी दलितों के घर समरसता भोज भी कर रहे है। भारत का हर हिंदू भगवान राम से जुड़े। उनके बारे में जाने।