वाराणसी: राम मंदिर का रास्ता प्रशस्त होने के बाद अब काशी और मथुरा को लेकर आंदोलन


वाराणसी। उमेश सिंह: ये मामला तब और गरमा गया जब प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बन रहे काशी विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान पुराने श्रृंगार गौरी मंदिर के पास निर्माण कार्य के दौरान कुछ पुराने मंदिर के अवशेष उत्खनन के दौरान मिले साथ ही एक सुरंग नुमा रास्ता ज्ञानवापी मस्जिद की ओर जाता हुआ दिख रहा था। उसी दौरान कुछ तस्वीरें निर्माण स्थल की सोशल मीडिया पर वायरल हो गई जिसके बाद आम लोगों के बीच में मस्जिद के नीचे मंदिर होने के पुख्ता सबूत के को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया। सोशल मीडिया पर तस्वीरें वायरल होते ही काशी के प्रबुद्ध जन भी अपना वक्तव्य जारी करने लगे।

इसी कड़ी में ज्ञानवापी मुक्ति आंदोलन चलाने वाले सपा के पूर्व नेता सुधीर सिंह एक अपील जारी की जिसमें उन्होंने कहा कि कोर्ट में लड़ने से बेहतर है कि काशी के मुस्लिम बंधु स्वयं से आगे आकर हिंदू मुस्लिम भाईचारे की मिसाल पेश करते हुए ज्ञानवापी की जमीन पर से अपना दावा छोड़ दें। तस्वीरें बता रही हैं जो हम लोगों का दावा है कि मस्जिद के नीचे ही मंदिर है वह सही है। बता दें कि लॉकडाउन से पहले राम मंदिर का निर्माण पर जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया था, उस वक्त भी सुधीर सिंह ने एक आंदोलन चलाया था जिसमें इनकी गिरफ्तारी भी हुई थी।

वहीं दूसरी ओर अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रनंद ने भी बताया कि संत समिति ने हमेशा से काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के दौरान एसआई की मांग को पुरजोर तरीके से उठाया है और जिस तरीके से सुरेंद्र कुमार रास्ता और मंदिर के अवशेष प्राप्त हो रहे हैं, उसको देखते हुए जल्द से जल्द एएसआई के द्वारा जल्द से जल्द पुराने काशी विश्वनाथ मंदिर का सर्वेक्षण का काम कराया जाना चाहिए।

वही इन तस्वीरों के बाबत काशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और जिले के आला अधिकारियों से बात करने का जब प्रयास किया तो कैमरे पर तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार किया लेकिन उन्होंने यह बात जरूर कही कि कॉरिडोर निर्माण के दौरान जो भी पुराने अवशेष मिल रहे हैं उस पर एक प्रोजेक्टपहले से ही चल रहा है जिसके अंतर्गत काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कला इतिहास विभाग के प्रोफेसर दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय के अधिकारी मंदिर प्रशासन के अधिकारी और धर्म आचार्यों के सहयोग से एक संग्रहालय निर्माण का कार्य चल रहा है। निश्चित तौर पर खुदाई के दौरान जो भी अवशेष मिल रहे हैं उनको संरक्षित किया जाएगा, साथ ही आरके लॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से भी उसके प्रमाणिक होने की पुष्टि की जाएगी।


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